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Rajasthan: सभी को सोच समझकर बोलना चाहिए- JLF में CM गहलोत को नसीहत दे गए शशि थरूर

Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot, Congress MP Shashi Tharoor

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शनिवार को कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मीडिया से इंटरेक्ट किया। इस दौरान उन्होंने राजस्थान में चल रही पायलट – गहलोत की राजनीति पर भी अपने विचार रखे। थरूर ने कहा निकम्मा नकारा और कोरोना जैसे शब्दों का इस्तेमाल अपने कलिग के लिए इस्तेमाल करने को गलत बताया।

Jaipur: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नसीहत दी है। थरूर ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत को सोच समझ कर बोलना चाहिए। फेस्टिवल में जब उनसे पूछा गया कि गहलोत ने पायलट को नकारा और निकम्मा कहा था। इस बारे में उनकी क्या राय है। इसका जवाब देते हुए थरूर ने कहा कि जब हम अपने साथियों के बारे में बोल रहे हैं, तो हमें सोच समझ कर बोलना चाहिए। थरूर ने कहा कि उन्हें राजनीति में आए 14 साल से ज्यादा का वक्त हो गया। उन्होंने आज तक कभी किसी के लिए उकसाने वाले या गलत शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। थरूर ने कहा कि वे राजनीति में कभी कीचड़ कुश्ती नहीं खेलना चाहते। तभी तो कई विषयों को उन्होंने इग्नोर कर दिया।

विचार अलग हो सकते हैं पर ऐसे शब्दों से बचना चाहिए
शशि थरूर ने कहा कि वे अपने सभी साथियों से अपील करना चाहेंगे कि अपने ही भाई बहनों के लिए ऐसा कहना अच्छा नहीं है। हमें अपने मतभेद मिटाने की कोशिश करनी चाहिए, ना कि मतभेद बढाने वाले बयान देने चाहिए। थरूर ने कहा कि एक ही पार्टी में अलग अलग नेताओं के विचार अलग अलग हो सकते हैं लेकिन अपनी बात कहने के दूसरे तरीके भी हो सकते हैं। जरूरी नहीं कि विरोध प्रकट करने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाए। पार्टी में सभी को प्रेम भाव से साथ रहना चाहिए। नकारा, निकम्मा और गद्दार जैसे शब्द तो विरोधियों के लिए भी इस्तेमाल नहीं करने चाहिए।

नेतृत्व तो पार्टी तय करती है : शशि थरूर
शशि थरूर ने कहा कि एक ही पार्टी में अलग अलग नेताओं के विचार अलग अलग होना स्वभाविक है। सभी राजनैतिक दलों में ऐसा होता है। कोई भी दल ऐसा नहीं जिसमें सभी नेता किसी विषय पर एक राय हो। लोकतंत्र में दो व्यक्तियों की राय में फर्क हो सकता है। अगर आप एक ही मकसद के लिए लड़ रहे हैं तो नेतृत्व कौन करेगा, यह तो पार्टी को तय करना पड़ेगा। पार्टी में और भी नेता हैं जो नेतृत्व क्षमता रखते हैं लेकिन नेतृत्व को पार्टी के आलाकमान को ही तय करना है। अगर बीजेपी में या कांग्रेस में कोई नेता पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि दूसरे नेताओं में काबिलियत नहीं है। कांग्रेस में भले ही अलग अलग नेताओं के विचार अलग अलग हों लेकिन सभी नेता बीजेपी के खिलाफ हैं।

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