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Karnataka: सिद्धारमैया या शिवकुमार… किसका पलड़ा रहेगा भारी, कर्नाटक सीएम रेस की प्रमुख बातें

कर्नाटक में कांग्रेस को 135 सीटों के साथ मिला है साफ बहुमत, सिद्धारमैया ने 2013 से 2018 तक कांग्रेस की सरकार संभाली, डीके शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष हैं, कांग्रेस विधायकों ने सीएम के लिए खरगे को दिया है अधिकार

नई दिल्ली: कर्नाटक में सीएम की कुर्सी पर चल रही कशमकश का आज नतीजा निकल सकता है। दो सबसे बड़े दावेदार सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दिल्ली में हैं। मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर चल रही बैठक खत्म हो गई है। आज शाम तक मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो सकता है। ऐसे में सवाल है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री की रेस में किसका पलड़ा भारी है? आइए जानते हैं अब तक के बड़े अपडेट।

  1. खरगे के आवास पर बैठक खत्म, राहुल भी पहुंचे
    कर्नाटक के नए सीएम पर मल्लिकार्जुन खरगे को मुहर लगानी है। दोपहर में 12 बजे के बाद दिल्ली में खरगे के 10 राजाजी मार्ग आवास पर कांग्रेस नेताओं का पहुंचना शुरू हुआ। कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला खरगे के आवास पर सबसे पहले पहुंचे। वहीं राहुल गांधी भी दोपहर एक बजे के बाद खरगे के घर पहुंच गए। राहुल करीब सवा घंटे तक यहां रहे। उन्होंने खरगे और सुरजेवाला के साथ कर्नाटक में नए सीएम की संभावनाओं पर चर्चा की। तकरीबन सवा दो बजे राहुल खरगे के आवास से बाहर निकले। शाम को सवा तीन बजे खरगे के आवास पर बैठक खत्म हो गई। आज ही सिद्धारमैया और शिवकुमार भी खरगे से मुलाकात करने वाले हैं। माना जा रहा है शाम तक कर्नाटक के नए सीएम के नाम का ऐलान हो सकता है।
  2. क्या सिद्धारमैया का पलड़ा है भारी?
    सिद्धारमैया के पक्ष में दो बातें मुख्य रूप से जा रही हैं। पहली यह कि वह कुरुबा ओबीसी समाज से आते हैं। कर्नाटक में AHINDA (कन्नड़ में अल्पसंख्यक-दलित ओबीसी) समीकरण के जरिए कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इसके जरिए कांग्रेस राज्य की 28 में से ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है। दूसरी बात जो सिद्धारमैया के पक्ष में है, वह है उनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई मामला न होना। कांग्रेस इस चुनाव में 40 प्रतिशत कमीशन और पेसीएम जैसे मुद्दों के साथ जीती है। ऐसे में अगर शिवकुमार पर दांव खेला और उनके खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में शिकंजा कसा तो पार्टी के लिए बचाव मुश्किल होगा। शिवकुमार पर ईडी, आयकर और सीबीआई ने मामले दर्ज किए हुए हैं। चुनावी हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ 19 केस लंबित हैं। सितंबर 2019 में इसी वजह से वह जेल गए और 50 दिन तिहाड़ में रहे। मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनके खिलाफ 26 मई 2022 को ईडी चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। आय से ज्यादा संपत्ति के केस में सीबीआई जांच पहले से चल रही है। इसमें भी शिवकुमार को अप्रैल 2023 में झटका लगा था, जब उनकी याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी।
  3. इस फॉर्म्युले पर मान सकते हैं शिवकुमार
    कांग्रेस आलाकमान शिवकुमार को मनाने के लिए कई फॉर्म्युलों पर काम कर रही है। एक फॉर्म्युला है कि अगले दो साल के लिए सिद्धारमैया को सीएम बनाया जाए और शिवकुमार को गृह मंत्रालय या कोई अहम पोर्ट फोलियो दे दिया जाए। इसके साथ ही शिवकुमार के करीबी विधायकों को भी मंत्री पद दिया जा सकता है। शिवकुमार को डेप्युटी सीएम भी बनाया जा सकता है। कांग्रेस शिवकुमार से कह सकती है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी को उनके कुशल प्रबंधन और रणनीति की जरूरत है और भविष्य में उनका रास्ता खुला हुआ है। 75 साल के सिद्धारमैया को थोड़े समय के लिए सीएम बनाकर फिर उनकी सम्मानजनक रूप से विदाई हो सकती है।
  4. चाहता हूं शिवकुमार सीएम बनें: डीके सुरेश
    डीके शिवकुमार के भाई और कांग्रेस सांसद डीके सुरेश का भी दोपहर होने से पहले बयान आ गया। डीके सुरेश ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनका भाई कर्नाटक का मुख्यमंत्री बने। दिल्ली एयरपोर्ट से शिवकुमार सीधे अपने भाई डीके सुरेश के आवास पर पहुंचे। शिवकुमार दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात करेंगे। उनका कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी मिलने का कार्यक्रम है। इसके अलावा सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी शिवकुमार मिल सकते हैं।
  5. शिवकुमार बोले- पार्टी मां होती है
    कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने दिल्ली रवाना होने से पहले कहा कि न तो वह पार्टी को ब्लैकमेल करेंगे न ही पीठ में छुरा घोंपेंगे। इसके साथ ही शिवकुमार ने कहा कि पार्टी तो मां की तरह होती है और मां बच्चे की इच्छा पूरी करती है। इशारों में कांग्रेस आलाकमान को शिवकुमार ने अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया। शिवकुमार ने इसके जरिए जताने की कोशिश की कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उनका दावा बनता है। शिवकुमार ने साथ ही कहा कि हमारी संख्या 135 है, मैं यहां किसी को विभाजित नहीं करना चाहता। अगर पार्टी चाहती है तो वे मुझे जिम्मेदारी देंगे। इसके जरिए शिवकुमार ने साफ किया कि पार्टी में किसी तरह की बगावत नहीं होगी।

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