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India-Canada Conflict: भारत-कनाडा विवाद में फाइव आइज देशों का क्या है रुख, अमेरिका के हर कदम पर दोनों देशों की निगाहें

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के हत्या के बाद भारत-कनाडा के रिश्ते इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं।

नई दिल्ली: खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के हत्या के बाद भारत-कनाडा के रिश्ते इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। इसके बाद दोनों देशों ने अपने यहां से राजनयिकों को निकाल दिया वही भारत ने कनाडा के नागरिकों को वीजा देने से मना कर दिया। इतना ही नहीं सोमवार रात कनाडा ने भारत में रह रहे अपने नागरिकों को सुरक्षित रहने के लिए कहा है। कुल मिलाकर पूरा मामला अब सबूत पर टिका है। कनाडा के पीएम उन सबूतों की बात कर रहे हैं जो उन्होंने निज्जर की मौत के बाद भारत को सौंपे थे। उधर भारत कह रहा है कि अब तक कनाडा ने हमें किसी प्रकार के कोई सबूत नहीं सौंपे हैं।

भारत के पास नहीं कोई सबूत
कुछ दिनों पहले कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने संसद में बयान देकर कहा था कि खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में भारत का हाथ था। हमनें इस संबंध में भारत को सबूत भी सौंपे हैं। इसके बाद कनाडा में अमेरिका के राजदूत डेविड कोहेन ने कहा कि निज्जर की हत्या से जुड़ी खुफिया जानकारी अमेरिका ने कनाडा से साझा की थी। बता दें कि कनाडा, अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड फाइव आइज देशों में शामिल हैं। ये पांचों देश आपस में खुफिया सूचनाएं साझा करते हैं। इसी अलायंस के तहत अमेरिका ने निज्जर की हत्या के संबंध में कनाडा को सबूत दिए।

खुलकर बोलने को तैयार नहीं कोई देश
वहीं भारत-कनाडा तनाव पर अमेरिका अभी खुलकर कनाडा के समर्थन में नहीं आया है। ना ही वह भारत का विरोध कर रहा है। कुल मिलाकर नपे-तुले बयान दे रहा है। अमेरिका की विदेश नीति में इंडो पैसिफिक सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। निज्जर मामले में वह भारत के खिलाफ बयान देकर भारत से सबंध खराब नहीं करना चाहेगा। वहीं कनाडा के पीएम ने सार्वजनिक रूप से भारत पर आरोप लगाने के बाद फाइव आइज अलायंस के देशों से भारत की आलोचना करने को कहा था।

मामले में अब तक यूके साफ कर चुका है कि वह किसी भी प्रकार से अपनी जमीन का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा। वहीं अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कुछ रोज पहले कहा था कि भारत को इस मामले में तनाव बढ़ाने की बजाय सहयोग से काम करना चाहिए। वहीं ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी इस मामले में पूरी नजर है। कुल मिलाकर इन सब बयानों में वह नजर नहीं आया जो कनाडा चाहता था।

कनाडा को नुकसान ज्यादा
विशेषज्ञों की मानें तो भारत-कनाडा के संबंध पुराने रहे हैं। लेकिन ताजा विवाद से कनाडा को नुकसान हो सकता है। भारत कनाडा की जरूरत की चीजों का निर्यात करता है। कनाडा के आधे क्षेत्रफल में 12 महीने बर्फ जमी रहती है इसलिए धान, गेहूं जैसी फसलों का वह भारत से आयात करता है। लेकिन बदले में भारत कनाडा से दालों का आयात करता है। अगर तनाव की वजह से व्यापार प्रभावित होता है तो इसका नुकसान भारत को कम और कनाडा को ज्यादा होगा। वहीं भारत से कनाडा जाकर पढ़ने वाले छात्र अब विकल्प के तौर पर यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका का रूख कर सकते हैं। ऐसे में कनाडा की इकोनाॅमी जो पहले ही माइनस में चल रही है उसका और ज्यादा खस्ताहाल हो सकता है।

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