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Defence Budget 2023: दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट, जानिए बजट में सेना के लिए क्या-क्या ऐलान

वित्त मंत्री के आम बजट पर देश के सभी वर्गों की निगाहें लगी हुई थीं। वित्त मंत्री ने बुधवार को सुबह 11 बजे संसद में आप बजट पेश किया। इस दौरान रक्षा बजट में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी। सरकार ने इसमें बढ़ोतरी कर दी है। सरकार ने रक्षा बजट बढ़ाकर 6.2 लाख करोड़ रुपये कर दिया है।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यानी बुधवार को आम बजट 2023-24 को पेश कर दिया है। देश में सभी वर्गों की निगाहें वित्त मंत्री की ओर से पेश किए जाने वाले आम बजट पर लगी हुई थीं। वित्त मंत्री ने संसद में सुबह 11 बजे आम बजट को पेश किया। इस दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि बीते सालों में भारत के लोगों की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई है। प्रति व्यक्ति आय 1.97 लाख रुपये सालाना हो गई है। भारतीय अर्थव्यवस्ता पहले के मुकाबले ज्यादा संगठित हो गई है। इसका असर लोगों के रहन सहन पर दिख रहा है। आम बजट में इस बार डिफेंस सेक्टर को भी काफी उम्मीदें थीं। भारतीय सेना की ओर से रक्षा बजट बढ़ाए जाने की मांग काफी समय से की जा रही थी। सरकार ने इस बार रक्षा बजट में बढ़ाेतरी कर दी है। इस बार कुल मिलाकर, रक्षा बजट बढ़कर 6.2 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। अगर पिछले साल से इसकी तुलना करें तो यह 16 प्रतिशत तक ज्यादा है। इसमें पेंशन भी शामिल है। डिफेंस सेक्टर में पिछले साल सरकार ने जो आवंटन पेश किया था वह करीब 5.25 लाख करोड़ रुपये का था। डिफेंस सेक्टर पर सरकार का हमेशा से ही फोकस ज्यादा रहा है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस बार बजट में 10 से 15 फीसदी तक का एलोकेशन बढ़ सकता है। इस बार रक्षा बजट बढ़कर साढ़े छह लाख करोड़ रुपये तक किए जाने की उम्मीद लगाई जा रही थी। है। आइए आपको बताते इस बार डिफेंस सेक्टर को सरकार से क्या उम्मीदें हैं।

सीमा पर तनाव का करना पड़ा है सामना
डिफेंस बजट में इजाफे की मांग काफी समय से उठती रही है। पिछले महीनों में देश के जवानों को सीमा पर लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। चीन के साथ भी सीमा पर भारतीय सैनिकों की तनातनी काफी समय तक चली थी। बजट में कमी आड़े आ रही थी। भारत का पड़ोसी पाकिस्तान भी अपने रक्षा बजट में लगातार इजाफा करता रहा है। पिछले साल के आम बजट में डिफेंस के लिए 5.2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इसमें से सबसे ज्यादा 1.9 लाख करोड़ रुपये आर्मी के लिए आवंटित किए गए थे, लेकिन इसका 83 फीसदी हिस्सा सैलरी और रोजाना के खर्चों में चला जाता है। केवल 17 फीसदी हिस्सा ही सेना के आधुनिकीकरण के लिए बच जाता है।

आधुनिकीकरण के लिए नहीं बच रही थी पर्याप्त रकम
कुल डिफेंस बजट में से 1.2 लाख करोड़ रुपये 33 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों और डिफेंस सिविलियन के पेंशन में चला जाता है। इससे सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त रकम नहीं बचती है। सेना के पास अभी काफी सामान ऐसे हैं जिनकी कमी चल रही है। सेना के पास मॉडर्न इंफेंट्री वेपन्स, हेलीकॉप्टर्स, ड्रोन, हॉवित्जर्स, रात में लड़ने में सक्षम क्षमताओं, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों और साजो-सामान की भारी कमी बनी हुई है। इसी के साथ ही लेफ्टिनेंट कर्नल और उससे नीचे के फाइटिंग रैंक के अधिकारियों की भी कमी है। इसकी वजह है कि सैलरी और पेंशन पर खर्च बढ़ने के कारण सेना को अपने आधुनिकीकरण के लिए बहुत कम बच पाता है जिससे अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया जा सके।

भारत ने डिफेंस बजट में लगातार बढ़ोतरी की है
विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि साल 2000 से लेकर अब तक भारत का डिफेंस एक्सपेंडीचर हमारी जीडीपी के 2.5 से 3.1 फीसदी के बीच बना रहा था। साल 2001 में भारत का कुल रक्षा बजट 14.6 अरब डॉलर था। यह साल 2011 तक 339 फीसदी यानी करीब साढ़े तीन गुना बढ़कर 49.63 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसके बाद के सालों में इसमें काफी धीमी गति से इजाफा हुआ। साल 2020 की बात करें तो सरकार ने डिफेंस पर 72.94 अरब डॉलर यानी जीडीपी के 2.9% के बराबर रकम खर्च की थी। इधर चीन की बात करें तो वह अपनी सुरक्षा पर भारत से करीब 4 गुना ज्यादा खर्च किया है। चीन और भारत के रक्षा व्यय का अंतर पिछले 10-12 साल में तेजी से बढ़ा है। साल 2019 में चीन का मिलिट्री एक्सपेंडीचर बढ़कर 240.33 अरब डॉलर हो चुका था, जबकि उस साल भारत के लिए यह आंकड़ा 71.47 अरब डॉलर तक ही पहुंच पाया था। साल 2010 से 2021 के दौरान भारत ने अपने रक्षा व्यय में जिस रफ्तार से इजाफा किया, उससे कहीं ज्यादा तेजी से चीन ने अपना मिलिट्री एक्सपेंडीचर बढ़ाया है।

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