Rajasthan: राजस्थान में गहलोत सरकार ने पास किया देश का पहला गिग वर्कर्स बिल, लाखों छोटे कर्मचारियों को मिलेगा फायदा

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सरकार का अनुमान है कि राजस्थान में 3-4 लाख गिग वर्कर्स हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट और प्रति लेनदेन पर काम करते हैं. उन्हें उनके एग्रीगेटर से कोई सामाजिक सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती है.

जयपुर: राजस्थान सरकार ने ऑनलाइन ऑर्डर पर फूड या अन्य प्रोडक्ट घर-घर पहुंचाने वाले गिग वर्कर्स (GIG Workers) को कानूनी दायरे में लाने के लिए बिल पास किया है. राजस्थान प्लेटफ़ॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन एंड वेलफेयर) विधेयक, 2023 को शुक्रवार को विधानसभा में रखा गया था. सदन में ये बिल सोमवार को पास हो गया. यह देश का पहला ऐसा विधेयक है, जो गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देता है. अगर कोई एग्रीगेटर इसके तहत कानून का पालन करने में नाकाम रहता है, तो उसके लिए जुर्माने और दंड का प्रावधान है. राज्य सरकार पहले उल्लंघन के लिए 5 लाख रुपये तक और बाद के उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है.

कौन होते हैं गिग वर्कर्स?
दरअसल, हर कारोबार में कुछ काम ऐसे होते हैं जिनको स्थायी कर्मचारी के बजाए गैर स्थायी कर्मचारी से कराया जा सकता है. ऐसे काम के लिए कंपनियों कर्मचारियों को काम के आधार पर पेमेंट करती हैं. ऐसे ही कर्मचारियों को गिग वर्कर (Gig Worker) कहा जाता है. हालांकि, ऐसे कर्मचारी कंपनी के साथ लंबे समय तक भी जुड़े रहते हैं.

स्वतंत्र रूप से ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले कर्मचारी, ठेका फर्म के कर्मचारी, कॉल पर काम के लिए उपलब्ध कर्मचारी, अस्थायी कर्मचारी गिग वर्कर्स हुए.

भारत में गिग वर्कर्स की स्थिति
भारत में ऑनलाइन कारोबार बढ़ने के बाद गिग वर्कर्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय 10 से 12 करोड़ गिग वर्कर हैं. भारत में अधिकांश गिग वर्कर ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनी और सामान की डिलीवरी जैसे कार्यों से जुड़े हैं.

गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड का होगा गठन
राजस्थान सरकार जो विधेयक लेकर आई है, उसके तहत राज्य एक ‘राजस्थान प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड’ का गठन करेगा. ये गिग श्रमिकों और एग्रीगेटर्स का रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करेगा. गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से ऐसे श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा दी जाएगी. इस बोर्ड में गिग श्रमिकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इसके लिए 200 करोड़ का फंड भी स्थापित किया जाएगा. इस विधेयक का उद्देश्य एक वेलफेयर फीस डिडक्शन सिस्टम बनाना भी है. इसे एग्रीगेटर ऐप के साथ मर्ज किया जाएगा.

गिग श्रमिकों मिलेगी आईडी
यह विधेयक गिग श्रमिकों को एक विशिष्ट आईडी देगा जो सभी प्लेटफार्मों पर लागू होगा. आईडी ऐसे श्रमिकों को सामान्य और विशिष्ट सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंचने, शिकायत होने पर सुनवाई करने और बोर्ड में प्रतिनिधित्व के माध्यम से उनके कल्याण के लिए लिए गए सभी निर्णयों में भाग लेने में सक्षम बनाएगी.

एग्रीगेटर्स को इसके लिए एक वेलफेयर फीस भी देनी होगी, जो उनके लेनदेन का एक प्रतिशत होगा. सरकार का अनुमान है कि राजस्थान में 3-4 लाख गिग कर्मचारी हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट और प्रति लेनदेन पर काम करते हैं. उन्हें उनके एग्रीगेटर से कोई सामाजिक सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती है.

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