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भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती भरा समय

वर्तमान समय में विश्व एक बहुत बड़े बदलाव से गुजर रहा है। एक तरफ यूक्रेन और रूस के युद्ध की वजह से नए समीकरण बन रहे हैं तो वही दूसरी ओर भारत k पड़ोसी देश श्रीलंका पाकिस्तान अफगानिस्तान और नेपाल आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोयला संकट और खाद्य तेल का संकट गहराता जा रहा है और इसके साथ साथ जनता को दी जाने वाली सब्सिडी भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है।


जानकारों द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है की चालू वित्त वर्ष में 80 करोड़ जनता को मुफ्त अनाज देने का फैसला अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर दिखायेगा। क्युकी वैश्विक स्तिथि को देखते हुए भारत को अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है वही दूसरी ओर कमाई का अतरिक्त जरिया नजदीकी दिनों में नजर आता नही दिख रहा है।


चालू वित्त वर्ष में भारत सरकार ने अपने बजट में खाद सब्सिडी के मद में 1.05 लाख करोड़ रु. का प्रावधान किया था किंतु चीन में खाद के उत्पादन में कमी आने से आयातित खाद की कीमत बढ़ गई जिसकी वजह से यह अनुमान लगाया जा रहा है यह सब्सिडी 2.5 लाख करोड़ तक जा सकती है।


चालू वित्तीय वर्ष में बजट में फूड सब्सिडी के मद में 2.06 लाख करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया था लेकिन सिर्फ सितंबर तक मुफ्त अनाज देने से फूड सब्सिडी के मद में बजट प्रावधान के अलावा 80000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ डाल चुकी है और सब्सिडी बिल बजट प्रावधान के मुकाबले इस चालू वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख करोड़ रु अधिक हो चुका है।


2021-2022 वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा जीडीपी का1.6 प्रतिशत रहा जबकि IMF के अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में यह घाटा जीडीपी का 3.1 प्रतिशत तक जा सकता है। इसका मुख्य कारण खाद, खाद्य तेल, पेट्रोलियम और कोयला के आयात बिल में बढ़ोतरी है।

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