रूस-यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुए 112 दिन हो चुके हैं। इस युद्ध में यूक्रेन के 5500 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो चुकी है। 10 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। इस युद्ध का असर सिर्फ रूस और यूक्रेन पर ही नहीं, बल्कि भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ रहा है।
आइए जानते हैं कि अब इस युद्ध में आगे क्या हो सकता है? क्या युद्ध खत्म हो जाएगा या फिर अभी लंबा संघर्ष जारी रहेगा? क्या पूरी तरह से यूक्रेन पर कब्जा करने की प्लानिंग कर रहा है रूस?
रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक क्या-क्या हुआ?
23 फरवरी 2022 की रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन का एलान किया। इसके चंद घंटे बाद यानी 24 फरवरी की तड़के सुबह यूक्रेन की राजधानी कीव और आसपास के शहरों में हवाई हमले होने लगे। रूस के इस हमले से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया।
कई शहरों पर रूस का कब्जा
रूस अब तक यूक्रेन के करीब नौ शहर कब्जे में कर चुका है। इनमें मैरियूपोल, सेवेरोदोनेत्स्क, डोनबास, लुहान्स्क, मेलिटोपोल, आइजम, लीमन, डोनेस्क, रुबेझोनोए जैसे शहर शामिल हैं। अब रूसी सैनिक दो अलग-अलग दिशाओं में एक साथ बढ़ रहे हैं। रूसी सैनिकों का एक मजबूत दल नॉर्थ यूक्रेन तो दूसरा साउथ की तरफ बढ़ रहा है।
कितने लोग मारे गए?
युद्ध में मौतों के आंकड़ों को लेकर कई अलग-अलग दावे हो रहे हैं। स्टेटिस्टिक की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन में अब तक 5,500 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो चुकी है। 10 हजार से ज्यादा घायल हैं। वहीं, द वर्ल्ड नंबर्स की रिपोर्ट के अनुसार अब तक युद्ध में 35 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
इनमें यूक्रेन के सैनिक भी शामिल हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दो दिन पहले ही कहा था कि अब हर रोज 100 से 200 यूक्रेनी सैनिक शहीद हो रहे हैं।
यूक्रेन ने किया बड़ा दावा
यूक्रेन का यह भी दावा है कि अब तक इस युद्ध में रूस के 40 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। 20 हजार सैनिकों को हिरासत में लिया गया है। हालांकि, रूस की तरफ से इस तरह के आंकड़े अभी तक नहीं जारी किए गए हैं।
क्या पूरी तरह से यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा रूस?
यही सवाल हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से किया। उन्होंने कहा, ‘बिना कब्जा किए अब रूस अपने कदम पीछे नहीं हटाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस युद्ध के कारण रूस ने काफी कुछ दांव पर लगा दिया है।
एक तरफ अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी जैसे पश्चिमी देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं, वहीं सभी ने रूस का बहिष्कार भी शुरू कर दिया है। दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्रपति भी कदम पीछे हटाने को तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में युद्ध तुरंत रुकना संभव नहीं दिख रहा है।
युद्ध में कितना नुकसान हुआ?
यूक्रेन के पार्लियामेंट्री कमिशन ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को बताया है कि अब तक इस युद्ध में रूस ने 45 हजार से ज्यादा आवासीय इमारतों को ध्वस्त कर दिया है। 3.02 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं। 2200 से ज्यादा शिक्षण संस्थान बर्बाद हो चुके हैं। इनमें 201 पूरी तरह से धराशायी हो चुके हैं।
कार, पुल पर भी निशाना
500 से ज्यादा कारें, 50 रेल ब्रिज, 760 फैक्टरी और 560 से ज्यादा अस्पताल भी युद्ध में क्षतिग्रस्त हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि इस युद्ध में यूक्रेन के 296 अस्पतालों, एंबुलेंस और स्वास्थ्यकर्मियों को निशाना बनाया गया है।
दुनिया पर क्या असर पड़ा ?
दुनिया पर इस युद्ध का सबसे बड़ा असर खाद्य संकट के रूप में उभरकर सामने आया है। रूस और यूक्रेन दोनों ही गेंहू के बड़े उत्पादक और निर्यातक देश हैं। दुनिया का 10 प्रतिशत गेंहू यूक्रेन से निर्यात होता है। इसके अलावा मक्का के वैश्विक व्यापार में भी यूक्रेन की हिस्सेदारी 15 फीसदी है।
दुनिया में इस्तेमाल होने वाले सूरजमुखी के तेल का 50 प्रतिशत उत्पादन यूक्रेन में ही होता है।
युद्ध के कारण दुनिया में गेहूं और सूरजमुखी तेल का संकट आ गया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य आपूर्ति कार्यक्रम बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
ऊर्जा उत्पादन पर भी पड़ा असर
इस युद्ध की वजह से सिर्फ खाद्य संकट ही सामने नहीं आया, बल्कि ऊर्जा उत्पादन पर भी असर पड़ा है। रूस दुनिया भर में प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। वह कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और तीसरा सबसे बड़ा कोयला निर्यातक देश है।
युद्ध से पहले तीन चौथाई रूसी गैसें और आधा रूसी कच्चा तेल यूरोप भेजा जाता था। यूरोपीय संघ का एक चौथाई तेल, गैस और कोयला उपयोग रूस से पूरा होता था। युद्ध के चलते इस पर काफी असर पड़ा है।