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केसीआर राष्ट्रीय छवि पेश करने की जुगत में, बीआरएस की बैठक में केजरीवाल, अखिलेश समेत विपक्ष के कई बड़े नेता

भारत राष्ट्र समिति की बैठक कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के ग्रैंड फिनाले से कुछ दिन पहले हो रही, बैठक में समाजवादी पार्टी और सीपीएम सहित 21 विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया

हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी की पहली बैठक के साथ गैर-कांग्रेसी विपक्षी मोर्चा बनाने की दिशा में पहला कदम उठाया. हैदराबाद के खम्मम शहर में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की बैठक में आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और केरल के मुख्यमंत्री व सीपीएम के नेता पिनाराई विजयन, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और सीपीआई के नेता डी राजा ने भाग लिया. जनता दल (एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी भी केसीआर के राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश का समर्थन कर रहे हैं. हालांकि कुमारस्वामी कर्नाटक में चल रही अपनी पंचरत्न रथ यात्रा के कारण इस बैठक में शामिल नहीं हो सके.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चारों मुख्यमंत्रियों के साथ मंच साझा करते हुए कहा, “कल बीजेपी की बैठक (राष्ट्रीय कार्यकारिणी) हुई. उन्होंने खुद कहा है कि 400 दिन बचे हैं. यह सरकार अपने दिन गिन रही है. यह 400 दिनों के बाद नहीं रहेगी.” बीआरएस की बैठक कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के ग्रैंड फिनाले से कुछ दिन पहले हो रही है. इसके लिए उसने समाजवादी पार्टी और सीपीएम सहित 21 विपक्षी दलों को आमंत्रित किया है. हालांकि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी आमंत्रित दलों की सूची में नहीं है.

के चंद्रशेखर राव की आज की रैली में भाग लेने वाले सभी दलों ने कांग्रेस की यात्रा को छोड़ दिया था. अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के प्रति अपनी दुश्मनी साफ कर दी है. हालांकि, सीपीएम इस साल होने वाले चुनावों के लिए सीट बंटवारे की व्यवस्था पर त्रिपुरा में कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही है. विजयन ने 2019 के आम चुनाव से पहले एक गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपा मोर्चे के अपने सपने को सार्वजनिक किया था, लेकिन यह विफल हो गया था. अधिकांश क्षेत्रीय नेताओं ने नैतिक समर्थन देना बंद कर दिया था. इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बार राव का सपना साकार होगा?

के चंद्रशेखर राव के अलावा विपक्ष में प्रमुख स्थान के कई दावेदार रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा स्पष्ट कर दी है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी दौड़ में हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिनसे केसी राव पिछले साल सितंबर में मिले थे, ने स्पष्ट रूप से कहा था कि कोई तीसरा मोर्चा नहीं होगा. नीतीश कुमार ने इंडियन नेशनल लोकदल द्वारा आयोजित एक रैली में कहा, “तीसरे मोर्चे का कोई सवाल ही नहीं है. एक ऐसा मोर्चा होना चाहिए जिसमें कांग्रेस शामिल हो, फिर हम 2024 में भाजपा को हरा सकते हैं.” भाजपा या कांग्रेस के समर्थन के बिना अब तक कोई तीसरा मोर्चा सफल नहीं हुआ है. पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को बीजेपी का समर्थन हासिल था. उनके उत्तराधिकारियों – चंद्रशेखर, देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के नेतृत्व वाली सरकारों को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था.

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